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आधुनिक खेती में धोनी की नई पारी: ड्रोन स्टार्टअप गरुड़ एयरोस्पेस के ब्रांड एंबेसडर बने धोनी, कंपनी में निवेश भी किया

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नई दिल्ली12 घंटे पहले

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क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को ड्रोन स्टार्टअप गरुड़ एयरोस्पेस का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। कंपनी ने 6 जून को इसकी घोषणा की। धोनी ने इस कंपनी में निवेश भी किया है और वो इसके शेयरहोल्डर बन गए हैं। चेन्नई की गरुड़ एयरोस्पेस ने हाल ही में एग्रीकल्चर को सपोर्ट करने के अपने प्लान की घोषणा की थी। कंपनी ने अप्रैल में कहा था कि वह ग्रामीण स्तर के एंटरप्रेन्योर या कीटनाशक और उर्वरक रिटेलर्स को ड्रोन बेचने के लिए एक मॉडल पर काम कर रही है।

धोनी का साथ सपने के सच होने जैसा
एमएस धोनी खुद भी खेती करते हैं। रांची में उनका एक फार्महाउस है, जहां जैविक फल और सब्जियां उगाई जाती हैं। क्रिकेटर ने कहा कि वह गरुड़ एयरोस्पेस का हिस्सा बनकर खुश हैं। गरुड़ एयरोस्पेस के CEO अग्निश्वर जयप्रकाश ने कहा कि वह धोनी के बहुत बड़े फैन हैं। जयप्रकाश ने कहा, ‘गरुड़ एयरोस्पेस फैमिली में धोनी का होना एक सपने के सच होने जैसा है। कैप्टन कूल का साथ हमारी टीम को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करेगा।’

पहला ड्रोन यूनिकॉर्न बनने के रास्ते पर गरुड़
गरुड़ एयरोस्पेस के 26 शहरों में 300 ड्रोन और 500 पायलट हैं। यह भारत का पहला ड्रोन यूनिकॉर्न स्टार्टअप बनने के रास्ते पर है। गरुड़ एयरोस्पेस उन चार ड्रोन स्टार्टअप्स में शामिल है, जिन्हें ऑनलाइन फूड डिलीवरी सर्विस स्विगी ने अपनी ग्रॉसरी सर्विस इंस्टामार्ट के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत ड्रोन के जरिए ग्रॉसरी की डिलीवरी होगी।

कस्टमर कॉमन पॉइंट तक ड्रोन से पहुंचेगा ऑर्डर
ड्रोन का इस्तेमाल सामान की सप्लाई सेलर्स के डार्क स्टोर्स तक करने और डार्क स्टोर्स से कॉमन कस्टमर पॉइंट तक पहुंचाने के लिए किया जाएगा। इसके बाद डिलीवरी पार्टनर कॉमन पॉइंट से ऑर्डर लेगा और उसे ग्राहक तक पहुंचाएगा। डार्क स्टोर का मतलब एक एक तरह का लोकल स्टोर है। इसमें ग्राहक नहीं होते। यहां किराने का सामान रखने के लिए शेल्व्स और रैक होते हैं।

ड्रोन के इस्तेमाल से कैसे बदल सकती है खेती?
जनसंख्या के लिहाज से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां बड़ा देश। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी को अन्न सुरक्षा देना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इसलिए जरूरी है कि पारंपरिक खेती की बजाय आधुनिक और तकनीकी खेती का विस्तार हो। खेती की बढ़ती लागत और प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी किसानों को खेती से नुकसान उठाना पड़ रहा है।

ऐसे में ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी के जरिए की गई प्रिसिजन फार्मिंग देश के किसानों को बेहतर विकल्प दे सकती है। ड्रोन का इस्तेमाल कर किसान लागत में कमी और समय की बचत कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। पारंपरिक तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव करने से हेल्थ पर इसका इफेक्ट पड़ता है। लेकिन ड्रोन के इस्तेमाल से इससे बचा जा सकता है।

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