आज से टेस्ट में भी रोहित युग: 22 साल बाद टेस्ट में भारत की फुल टाइम कप्तानी एक मुंबईकर करेगा, 2000 में सचिन ने छोड़ी थी कमान
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मोहाली4 मिनट पहले
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भारतीय टीम शुक्रवार से श्रीलंका के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला खेलने उतरेगी। यह मैच टीम इंडिया के दो सबसे बड़े सुपरस्टार्स विराट कोहली और रोहित शर्मा के लिए भी काफी अहम है। विराट अपना 100 टेस्ट खेल रहे हैं तो रोहित इस फॉर्मेट में पहली बार कप्तानी कर रहे हैं। लीडरशिप के नजरिए से देखा जाए तो भारतीय टीम अब विराट युग से रोहित युग में प्रवेश कर रही है। साथ ही 22 साल के लंबे अंतराल के बाद मुंबई का कोई क्रिकेटर भारतीय टेस्ट टीम का फुल टाइम कैप्टन बना है।
साउथ अफ्रीका से हार के बाद सचिन ने छोड़ी थी कप्तानी
रोहित शर्मा से पहले सचिन तेंदुलकर टीम इंडिया की फुल टाइम कप्तानी करने वाले आखिरी मुंबईकर थे। उन्होंने दो अलग-अलग टर्म में टीम की कमान संभाली। साल 2000 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में हार के बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी। उसके बाद से टीम इंडिया की फुल टाइम कप्तानी मुंबई के किसी क्रिकेटर को नहीं मिली थी। विराट कोहली की गैर हाजिरी में अजिंक्य रहाणे ने कुछ मैचों में पार्ट टाइम कप्तान के तौर पर टीम की कमान जरूर संभाली।
पिछले 50 साल में टीम इंडिया के एक चौथाई कप्तान मुंबई से
मुंबई भारतीय क्रिकेट का गढ़ भी रहा है। लंबे समय तक भारतीय टीम में भी मुंबई के खिलाड़ियों का दबदबा रहा। यही वजह है कि कप्तान भी ज्यादातर मुंबई से हुए। पिछले 50 साल में यानी 1972 से अब तक 15 खिलाड़ियों को भारत की फुल टाइम कप्तानी मिली। इनमें से 4 मुंबई से थे। 1972 में अजीत वाडेकर टीम के कप्तान थे। इसके बाद सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर और सचिन तेंदुलकर ने टीम की कमान संभाली। रवि शास्त्री और अजिंक्य रहाणे जैसे पार्ट टाइम कप्तान भी मुंबई से आए।
बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और घरेलू क्रिकेट में दबदसे से मिला था मुंबई को फायदा
भारतीय क्रिकेट में मुंबई के दबदबे के पीछे सबसे बड़ी वजह घरेलू क्रिकेट में मुंबई का बेहतरीन प्रदर्शन रहा है। हाल तक रणजी ट्रॉफी में किए प्रदर्शन को टीम इंडिया में सिलेक्शन का सबसे बड़ा पैमाना माना जाता था। मुंबई ने रिकॉर्ड 41 बार यह टूर्नामेंट जीता है लिहाजा बाकी टीमों की तुलना में उसके ज्यादा खिलाड़ी भारतीय टीम में भी आए। इसके अलावा मुंबई में क्रिकेट इन्फ्रास्ट्रक्रचर भी देश के बाकी हिस्सों से बेहतर था। अंग्रेजों ने क्रिकेट को मुंबई में लोकप्रिय बनाया था। मुंबई जिमखाना और क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया जैसी फैसिलिटी मुंबई ने तैयार कर रखी थी। इसलिए देश के अन्य हिस्सों से भी युवा क्रिकेट में करियर बनाने के लिए मुंबई का रुख करते थे।
गांगुली और धोनी ने जमाया था पूरब का सिक्का
एक जमाने में बंगाल, बिहार जैसी ईस्ट जोन की टीमों से भारत के कप्तान नहीं आते थे। लेकिन, सौरव गांगुली ने इस क्रम को बदल दिया और उनकी कप्तानी के दौरान भारतीय क्रिकेट में मुंबई का दबदबा भी कम हुआ। गांगुली ने साल 2000 से 2006 तक टीम की कप्तानी की। इसके बाद राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के रूप में दो कप्तान कर्नाटक से आए। 2008 में टेस्ट टीम की कप्तानी एक बार फिर ईस्ट जोन के खिलाड़ी के पास आ गई। ये खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी थे। उन्होंने 2015 तक टेस्ट में भारत की अगुवाई की।
रोहित का कप्तान बनना मुंबई के दबदबे की वापसी नहीं
BCCI के एक सीनियर अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि रोहित को कप्तान बनाया जाना एक सामान्य घटनाक्रम है। इसे मुंबई के दबदबे की वापसी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब भारतीय क्रिकेट में काफी बदलाव आ गया है और यह पेशेवर अंदाज में चलती है। चाहे टीम में मौके की बात हो या कप्तानी मिलने का सवाल, ये फैसले टैलेंट के आधार पर लिए जाते हैं। बोर्ड ने विराट को टेस्ट की कप्तानी से नहीं हटाया था। विराट ने खुद कप्तानी छोड़ी। इसके बाद रोहित लीडरशिप रोल के लिए सबसे सही विकल्प थे।
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