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अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट: भारत में बिजनेस करना पहले जितना ही कठिन है, सरकार निवेश की बाधाओं को कम करे

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मुंबई15 घंटे पहले

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  • सरकार को कोविड के मामलों में वृद्धि के कारण कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है
  • भारत के बीमा क्षेत्र को और उदार बनाया गया, विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाई गई

अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा है कि भारत में बिजनेस करना उतना ही कठिन काम है जितना कि पहले था। इसने यहां की सरकार को निवेश में आ रही बाधाओं को कम करने की भी अपील की है। इसमें प्रशासन का सहयोग भी मांगा है।

बुधवार को जारी हुई रिपोर्ट

अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को जारी रिपोर्ट “2021 इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट स्टेटमेंट: भारत” में कहा कि भारत बिजनेस करने के लिए एक चुनौतीपूर्ण जगह बना हुआ है। इसमें जम्मू-कश्मीर राज्य से विशेष संवैधानिक दर्जे को हटाने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के पारित होने का भी जिक्र है।रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक सप्लाई चेन से उत्पादकों को प्रभावी ढंग से बंद कर दिया है। द्विपक्षीय व्यापार में विस्तार को प्रतिबंधित कर दिया है।

100 दिन के फैसले पर उठाया सवाल

विदेश विभाग ने अपनी रिपोर्ट में भाजपा गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में लिये गए 2 “विवादास्पद” फैसलों का भी उल्लेख किया है। इसमें जम्मू-कश्मीर से विशेष संवैधानिक दर्जा हटाना और CAA को पास करने को विवादास्पद बताया गया है। रिपोर्ट कहती है कि भारत का कहना है कि CAA उसका आंतरिक मामला था। किसी भी विदेशी दल के पास भारत की संप्रभुता से संबंधित मुद्दों पर अपनी बात रखने का कोई आधार नहीं है।

धारा 370 खत्म करना भारत का आंतरिक मामला

भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साफ कहा है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना उसका आंतरिक मामला था। विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि CAA के लागू होने के बाद विरोध प्रदर्शन हुए लेकिन यह मार्च 2020 में कोरोना के कारण लॉकडाउन लागू होने से समाप्त हो गया। कोविड का प्रबंधन, आर्थिक गतिविधियों में गिरावट सहित कई मुद्दे 2020 में प्रमुख मुद्दा बने। दिसंबर 2020 तक आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक विकास के लक्षण दिखने शुरू हो गए।

कोरोना के कारण हुई आलोचना

भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को कोविड के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि के कारण कुछ आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। विदेश विभाग ने कहा कि महामारी और लॉकडाउन से उपजी आर्थिक चुनौतियों के जवाब में भारत ने व्यापक सामाजिक कल्याण और आर्थिक प्रोत्साहन के कई कार्यक्रम बनाए। इंफ्रास्ट्रक्चर और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि की।

कई इंडस्ट्री को इंसेंटिव भी दिया

सरकार ने फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़े इंसेंटिव को भी अपनाया। इन उपायों से भारत को अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के बीच सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 8% की गिरावट से उबरने में मदद मिली और जनवरी 2021 से पॉजिटिव ग्रोथ भी लौट रही है।

विदेशी निवेश पर ध्यान जारी है

भारत सरकार ने विदेशी निवेश पर ध्यान देना जारी रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के मद्देनजर भारत ने नए श्रम संहिताओं (labour codes) और ऐतिहासिक कृषि क्षेत्र में सुधारों सहित कई महत्वाकांक्षी आर्थिक सुधारों को लागू किया। इससे प्राइवेट और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने में मदद मिलनी चाहिए। फरवरी 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निजीकरण के जरिए 2.4 अरब डॉलर जुटाने की योजना की घोषणा की थी और माना जा रहा है कि इससे अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका में कमी आएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2021 में संसद ने भारत के बीमा क्षेत्र को और उदार बनाया। इससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 49% से बढ़कर 74% हो गई। हालांकि इसमें अभी भी डायरेक्टर और टॉप मैनेजमेंट में भारतीय नागरिकों को ही नियुक्त करने की शर्त रखी गई है।

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