अंतरराष्ट्रीय हॉकी में हरियाणा का गौरव, 3 खिलाड़ी शाहाबाद से: ऑस्ट्रेलिया को हरा पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची टीम, पूरे प्रदेश में बधाइयों का दौर; बजे ढोल-बंटने लगी मिठाइयां
करनाल10 घंटे पहले
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महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल, नवनीत कौर और नवजोत कौर।
ऑस्ट्रेलिया को हराने वाली महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल समेत तीन खिलाड़ी हरियाणा के शाहाबाद से हैं। कुरुक्षेत्र जिले में स्थित शाहाबाद मारकंडा को ‘हरियाणा का संसारपुर’ कहा जाता है। (संसारपुर पंजाब में है और हॉकी के लिए मशहूर है)। ओलिंपिक के इतिहास में पहली बार महिला हॉकी टीम में सेमीफाइनल में जगह बनाई है। टीम की जीत के बाद शाहाबाद समेत पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। कहीं ढोल बजाए गए, कहीं मिठाइयां बांटी तो कहीं पटाखे भी चलाए गए हैं। टीम के प्रशंसकों ने कहा विश्व चैंपियन टीम को हराना गोल्ड जीतने के बराबर है। अब टीम गोल्ड लाने के लिए मजबूत हो गई है।
जानें कैसे कप्तानी तक पहुंची मजदूर की बेटी रानी
शाहाबाद मारकंडा से ताल्लुक रखती रानी रामपाल ने छह साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था। आज वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं और उनकी कप्तानी में टीम अपनी एक वैश्विक पहचान बना रही है। यहां से भारत को महिला टीम की पूर्व कप्तान ऋतू रानी, रजनी बाला, नवनीत कौर, ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह और संदीप कौर जैसे मशहूर हॉकी खिलाड़ी मिले हैं, पर इसके बावजूद रानी रामपाल का सफर बड़ा कठिन रहा है। जब वरिष्ठ भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए रानी का चयन हुआ, तब वह सिर्फ 14 साल की थीं और टीम की सबसे युवा खिलाड़ी थीं। लंबे समय से हरियाणा के एक मजदूर की यह दृढ संकल्पी बेटी, हर साल अपने बेहतरीन खेल से देश के लोगों का दिल जीत रही है।
वह अक्सर बता चुकी हैं, ‘मैं ऐसी जगह पर पली- बढ़ी हूं, जहां महिलाओं और लड़कियों को घर की चारदीवारी में रखा जाता है, इसलिए जब मैंने हॉकी खेलने की इच्छा जाहिर की, तो मेरे माता-पिता और रिश्तेदारों ने साथ नहीं दिया। मेरे माता-पिता बहुत छोटी जगह से हैं और ज्यादा पढ़े- लिखे भी नहीं हैं। उन्हें लगता था कि स्पोर्ट्स में करियर नहीं बन सकता और लड़कियों के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। साथ ही, हमारे रिश्तेदार भी मेरे पिता को ताने देते थे, ‘ये हॉकी खेल कर क्या करेगी? बस छोटी-छोटी स्कर्ट पहन कर मैदान में दौड़ेगी और घर की इज्जत खराब करेगी’।
बचपन से ही बड़ा सपना था नवजोत कौर का, खेले 100 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच
26 साल की नवजोत कौर का जन्म 7 मार्च 1995 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ था। उनके पिता पेशे से मैकेनिक हैं और मां गृहिणी हैं। नवजोत कौर का बचपन से सपना था कोई बड़ा मुकाम हासिल करना है। उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा प्राप्त की और शाहाबाद में बलदेव सिंह की अकादमी में हॉकी के लिए प्रशिक्षण लिया। अंडर-19 स्तर पर अपने पहले टूर्नामेंट में ही उन्होंने शीर्ष स्थान प्राप्त किया। उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हॉकी के 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया है।
पांचवीं कक्षा में हॉकी खेलने की इच्छा जाहिर की थी नवनीत कौर ने
तीसरी होनहार खिलाड़ी नवनीत कौर भी शाहाबाद कस्बे की हैं। उनके पिता बूटा सिंह खेती करते हैं और मां गृहिणी हैं। नवनीत कौर का जन्म 26 जनवरी 1996 को हुआ था। उन्होंने पांचवीं कक्षा में ही हॉकी खेलने की इच्छा जाहिर की। हॉकी कोच बलदेव ने उन्हें ट्रेंड किया। नवनीत कौर अब वेस्टर्न रेलवे में चीफ ट्रेवलिंग टिकेट इंस्पेक्टर के पद पर हैं। नवनीत कौर ने 2013 में जूनियर वर्ल्ड कप में ब्रॉज मेडल जीता था। इसके बाद 2017 में एरिश कप में गोल्ड मैडल, 2018 में एशियन गेम्स में सिल्वर, 2018 में ही कामनवेल्थ गेम्स में चौथा स्थान पाया। 2018 में ही सीनियर वर्ल्ड कप, 2019 में ओलिंपिक और 2021 में टोक्यो ओलिंपिक क्वालीफाई किया। नवनीत कौर ने टोक्यो ओलिंपिक में शुक्रवार को आयरलैंड से हुए हाकी मुकाबले में मैच के अंतिम क्वार्टर में गोल करके देश की ओलिंपिक में बने रहने की उम्मीदें जगाई। इसके बाद रविवार को ऑस्ट्रेलिया को हराकर टीम सेमीफाइनल में पहुंच गई।
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