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- Retail And Wholesale Traders Will Have Access To Priority Sector Lending, Will Have To Pay 1.5 Percent Less Interest Than The Regular Loan
2 घंटे पहले
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- ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के तहत बिना सिक्योरिटी मिलेगा 10 लाख रुपए तक का लोन
- बकाया मिलने में देरी होने पर तिगुना चक्रवृद्धि ब्याज वसूल करने का अधिकार मिलेगा
- ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के तहत 1% कम ब्याज के भुगतान की छूट पा सकेंगे व्यापारी
मोदी सरकार ने शुक्रवार को थोक और खुदरा व्यापारियों को MSME दायरे में लाने का ऐलान किया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि थोक और खुदरा व्यापारी अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत आसानी से लोन ले सकेंगे। सरकार के फैसले से लगभग ढाई करोड़ खुदरा और थोक व्यापारियों को फायदा होगा।
इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ट्वीट करके कहा कि सरकार ने खुदरा और थोक व्यापार को MSME यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के दायरे में लाकर बहुत बड़ा काम किया है। इससे करोड़ों व्यापारियों को आसानी से कर्ज मिल सकेगा और वे MSME को मिलने वाली दूसरी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। MSME के दायरे में थोक और खुदरा व्यापार को लाने से इनके कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार व्यापारियों को सशक्त बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है।
व्यापारियों की संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि 2017 में एक ऑफिस आर्डर के जरिए MSME मंत्रालय ने व्यापारियों को MSME की परिभाषा से बाहर कर दिया था। उनके मुताबिक MSME को परिभाषित करने में एंटरप्राइजेज का शब्द इस्तेमाल हुआ है, जिससे उसके दायरे में हर तरह का व्यापार आता है। MSME की परिभाषा के दायरे में लाया जाना व्यापारियों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला कदम है। इस बारे में थोड़े विस्तार से जानते हैं।
क्या है MSME की परिभाषा?
सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत MSME की परिभाषा में बदलाव किया है। इसमें निवेश और टर्नओवर, दोनों को आधार पर बनाया गया है, जबकि पहले सिर्फ पूंजी निवेश का आधार था। अभी एक करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और पांच करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज माने जाते हैं।
इसके अलावा 10 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और 50 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज की गिनती में आते हैं। 50 करोड़ रुपए तक के पूंजी निवेश और 250 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज होते हैं। अब उनको मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर नहीं बांटा गया है।
पुराने वर्गीकरण के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 25 लाख रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज माने जाते थे। पांच करोड़ तक की पूंजी वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज की गिनती में आते थे। 10 करोड़ रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज होते थे।
इसी तरह, सर्विसेज सेक्टर में 10 लाख रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, सूक्ष्म उद्यम यानी माइक्रो एंटरप्राइज की गिनती में आते थे। दो करोड़ तक की पूंजी वाले उद्यम, लघु यानी स्मॉल एंटरप्राइज माने जाते थे। पांच करोड़ रुपए तक की पूंजी वाले उद्यम, मध्यम यानी मीडियम एंटरप्राइज कहलाते थे।
कहां और कैसे करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन?
MSME का दर्जा पाने के लिए व्यापारी अपना रजिस्ट्रेशन सरकारी पोर्टल udyamregistration.gov.in पर करा सकते हैं। वे नए MSME के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन आधार कार्ड और पैन के साथ करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन का वेरिफिकेशन होने में कुछ दिन लगते हैं, जिसके बाद आवेदक को उद्यम रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी होता है।
MSME को मिलते हैं किस तरह के फायदे?
व्यापारियों को MSME बनने से कई तरह के फायदे मिलेंगे। वे अब प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग के हकदार हो गए हैं। इस तरह की लेंडिंग में रेगुलर लोन से एक-डेढ़ पर्सेंट तक कम ब्याज पर लोन मिलता है।
जानकारों के मुताबिक, व्यापारी अब किसी तरह की सिक्योरिटी दिए बिना ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजना’ के तहत लोन ले सकेंगे। मुद्रा लोन तीन कैटेगरी में से शिशु मुद्रा योजना में 50 हजार रुपए तक, किशोर योजना में 50 हजार रुपए से 5 लाख रुपए और तरुण योजना में 10 लाख रुपए तक दिए जाते हैं।
MSME को प्राइम मिनिस्टर्स एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम के तहत नया उद्यम शुरू करने के लिए बिना सिक्योरिटी लोन मिलता है। इसमें आवेदक को अपनी तरफ से 10% लगाना पड़ता है और शहरी इलाकों के लिए 15% जबकि ग्रामीण इलाके के लिए 25% की सब्सिडी होती है।
MAT क्रेडिट को 10 साल के बजाय 15 साल तक कैरी फॉरवर्ड करने की सुविधा मिलती है। उनको पेटेंट रजिस्ट्रेशन फीस पर 50% की सब्सिडी मिलती है। वे इंडस्ट्रियल प्रमोशन सब्सिडी के भी हकदार बन जाते हैं।
वेंडर से बकाया मिलने में देरी होने पर आरबीआई के इंटरेस्ट रेट का तिगुना चक्रवृद्धि ब्याज वसूल करने का अधिकार मिलता है। उन्हें बिजली बिल में भी रियायत मिलती है। ISO सर्टिफिकेशन चार्ज वापस मिल जाता है। उनको ओवरड्राफ्ट की फैसिलिटी में ब्याज पर एक फीसदी की छूट मिलती है। MSME बनने पर सरकारी टेंडर मिलने में आसानी होती है, क्योंकि उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल सरकारी ई-मार्केट और दूसरे सरकारी पोर्टल से इंटीग्रेट होता है।
CGTMSE (क्रेडिट गारंटी फंड्स ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइज) के तहत MSME बिना सिक्योरिटी दो करोड़ रुपए तक लोन ले सकते हैं। देनदार के लोन नहीं चुकाने की स्थिति में उसका 85% तक का लोन चुकाने की गारंटी सरकार देती है।
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