नई दिल्ली24 मिनट पहले
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यूक्रेन और रूस के बीच चल रहा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। युद्ध में कई देश रूस की मदद करने से इनकार कर चुके हैं। दुनियाभर की कई कंपनियों ने रूस में अपने ऑपरेशंस को बंद कर दिया है। इसके बाद भी रूस पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। इस बीच रूस में एयरलाइंस को लीज पर दिए गए प्लेन को वापस लेने के लिए वेस्टर्न कंपनियों की उम्मीद को बड़ा झटका लगा है। वहां के अधिकारियों का इरादा फॉरेन रजिस्टर्ड प्लेन को देश में रखने का है। राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने फॉरेन बिजनेसेस की संपत्ति का नेशनलाइजेशन करने पर चर्चा की है।
रूसी कैरियर के पास 523 प्लेन लीज पर
एक परामर्श फर्म IBA के मुताबिक, गुरुवार, 10 मार्च तक देश के बाहर की कंपनियों द्वारा रूसी कैरियर को 523 प्लेन लीज पर दिए गए थे। इनमें 101 S7 एयरलाइंस और 89 एयरोफ्लोट लीज पर हैं। दोनों एयरलाइंस ने इंटरनेशनल फ्लाइंग को बंद कर दिया है। इससे प्लेन को वापस लेने की संभावना खत्म हो गई है। एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में फाइनेंस प्रोफेसर डॉ. विटाली गुजवा ने कहा कि अब सिर्फ आम सहमति है। प्लेन को फिर से प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
एक्सपर्ट्स ने पहले ही अनुमान लगाया था
डॉ. गुजवा के साथ बीते दिनों सैन डिएगो में एक इंडस्ट्री कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले कुछ लोगों ने इसका अनुमान पहले ही लगा लिया था। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ट्रेडिंग के एक इवेंट इस बात को जिक्र भी किया गया था। उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट आमतौर पर मान रहे हैं कि कंपनियों को भारी नुकसान की संभावना है। एविएशन कंसल्टिंग फर्म इश्का के अनुसार, प्लेन की कीमत 12 बिलियन डॉलर (करीब 92 हजार करोड़ रुपए) से ज्यादा है।
एयरकैप ने रूस को 142 प्लेन लीज पर दिए
IBA के अनुसार, कमर्शियल एयरक्राफ्ट को लीज पर देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एयरकैप (AerCap) ने रूस को 142 प्लेन लीज पर दिए हैं। ये किसी भी दूसरी कंपनी की तुलना में सबसे ज्यादा है। हालांकि, एयरकैप ने मामले में किसी भी तरह की टिप्पणी करने मना कर दिया है। जबकि बीते दिनों एक फाइनेंशियल डिस्क्लोजर के दौरान उसने इस बात का खुलासा किया था कि रूस के पास उसके बेड़े के प्लेन का 5% हिस्सा है। SMBC एविएशन कैपिटल ने रूस को 35 प्लेन को लीज पर दिया है।
रूसी एयरलाइंस दुनिया में किराए पर प्लेन देने वाले बिजनेस पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। एयरलाइंस को अपने बेड़े में एयरबस और बोइंग के प्लेन को आधुनिक बनाने के लिए इनकी बहुत जरूरत है। हालांकि, यूरोपीय संघ ने किराए पर प्लेन देने वाली कंपनियों को रूस में किए करारों को खत्म करने के लिए 28 मार्च तक का समय दिया है। हालांकि एयरस्पेस पर पाबंदी और स्विफ्ट पेमेंट ट्रांसफर में दिक्कतों के चलते इन प्लेन को वापस लाना भी एक बड़ी चुनौती बन गई है।
28 मार्च तक सैंकड़ों प्लेन बाहर नहीं निकल पाएंगे
सिंगापुर बेस्ड लीजिंग कंपनी, BOC एविएशन के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डेविड वाल्टन ने कहा कि 28 मार्च की समय सीमा देश से सैकड़ों प्लेन को बाहर निकालने के लिए काफी कम समय है। फरवरी के आखिर तक रूसी एयरलाइंस BOC के मालिकाना हक वाले 18 प्लेन का इस्तेमाल कर रही थी। ये कंपनी के बेड़े का करीब 4.8% है।
प्लेन रूस में फंसा तो स्थिति गंभीर होगी
ACI एविएशन कंसल्टिंग के फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव क्वेंटिन ब्रासी ने कहा कि यदि किसी कंपनी को उसके प्लेन मिल जाते हैं, लेकिन उनसे जुड़े रिकॉर्ड नहीं है तब वे उनके लिए बेकार हो जाते हैं। कोई प्लेन जितने अधिक समय तक रूस में फंसा रहता है, उसके स्थिति उतनी ज्यादा गंभीर हो जाएगी। क्योंकि प्लेन की बॉडी, इंजन और उसका फ्लाइंग सिस्टम में प्रॉब्लम होने से उसकी वैल्यू भी कम हो जाती है।
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास के मुताबिक, रूसी परिवहन मंत्रालय ने एयरलाइंस की मदद के लिए एक ड्राफ्ट बिल तैयार किया है। इसके तहत सितंबर 2022 तक किसी थर्ड पार्टी से रख रखाव का काम कराया जा सकेगा। इसके साथ ही एयरलाइंस का निरीक्षण भी रद्द हो जाएगा। एविएशन के जानकार इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि प्रतिबंधों के कारण प्लेन बनाने वाली कंपनियां सर्विस बुलेटिन शेयर नहीं करेंगी। जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम हैं।
प्लेन के इंश्योरेंस पर भी इसका असर होगा
एक्सपर्ट ने बताया कि प्लेन के इंश्योरेंस पर भी इसका असर होने वाला है। डेटा और एनालिटिक्स कंपनी रसेल ग्रुप के अनुसार, एविएशन वॉर इंश्योरेंस इसे लेकर चिंतित हैं। 9/11 आतंकी हमले के बाद से वे सबसे बड़े नुकसान का सामना कर रही हैं। प्लेन का इंश्योरेंस लगातार महंगा हो रहा है, क्योंकि इंडस्ट्री को हाल ही के सालों में नुकसान का सामना करना पड़ा है।
रसेल ग्रुप के फाउंडर सुकी बसी के अनुसार, महामारी के दौरान कीमतों में बढ़ोतरी के कारण बीमा कंपनियों ने कवरेज में कटौती की है। रूस की स्थिति ऐसा ही प्रभाव देखने को मिल सकता है। यानी आपको इंश्योरेंस के लिए ज्यादा पेमेंट करना होगा, लेकिन कवरेज कम मिलेगा।
प्लेन के उपकरणों की सप्लाई भी बंद
दुनिया की दो दिग्गज एविएशन मैन्युफैक्चर्स कंपनी बोइंग और एयरबस ने प्लेन के उपकरणों को रूसी एयरलाइन को सप्लाई करना बंद कर दिया है। इससे रूसी प्लेन के खड़े हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। चीन ने भी रूसी एयरलाइंस को एयरक्राफ्ट का पार्ट देने से भी मना कर दिया है। माना जा रहा है कि दो हफ्ते के अंदर चीन ने रूस को लेकर अपना पॉलिसी बदल लिया है। रशियन न्यूज एजेंसी ने खुलासा किया है कि चीन ने रूस को एयरक्राफ्ट का पार्ट देने से मना कर दिया है, इसलिए वो टर्की या भारत से मदद लेने की सोच रहा है।
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