यूरो कप डायरी: इटली का उदय और रामोस की विदाई, कोच मैन्चीनी ने टीम पर जो मेहनत की है, वह अब दिखलाई देने लगी है।
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- The Rise Of Italy And The Departure Of Ramos, The Hard Work That Coach Mancini Put Into The Team Is Now Visible.
नई दिल्ली4 मिनट पहले
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गोल करने का जश्न मनाते इटली के इम्मोबाइल। इटली ने टूर्नामेंट में लगातार दूसरी जीत दर्ज की है।
इटली के क़दमों में इस यूरो कप के दौरान मानो कोई खनक है, जैसे कि वो पृष्ठभूमि में गूँजते किसी अश्रव्य संगीत के साथ खेल रहे हों। अंतरराष्ट्रीय फ़ुटबॉल में राष्ट्रीय टीमें कब गुंथ जाती हैं पता नहीं चलता। लम्बे क्लब-सीज़न के दौरान जब-तब इंटरनेशनल ब्रेक्स होते हैं, जिनके दौरान अमूमन फ्रेंडलीज़ या क्वालिफ़ायर्स खेले जाते हैं और इस पर क्लब-फ़ैन्स के द्वारा नाक-भौं सिकोड़ी जाती है।
इसी वक़्फ़े में नेशनल टीम्स के मैनेजर्स अपनी टीमों पर धीरे-धीरे काम करते रहते हैं ताकि यूरो और विश्व कप के लिए उन्हें तैयार कर सकें। जब इन बड़े टूर्नामेंटों में ये टीमें अवतरित होती हैं तो हमें उनके पीछे की जेनेसिस नहीं दिखलाई देती, हम उन्हें विभिन्न क्लबों में खेलने वाले खिलाड़ियों का जमघट ही पहले-पहल समझते हैं। धीरे-धीरे उनका एक किरदार नुमायां होता है।
अगर आपको यह बतलाया जाए कि इटली की इस टीम ने अपने पिछले 10 मैच जीते हैं और बिना कोई गोल खाए 31 गोल किए हैं और वह विगत 29 मैचों से अविजित है तो शायद आपको अचरज होगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय टीमें जिस धीमी गति से असेम्बल होती हैं, उसमें ये तरतीब हमको सीधे दिखलाई नहीं देती। लेकिन कोच रोबेर्तो मैन्चीनी ने इटली की इस टीम पर जो मेहनत की है, वह अब दिखलाई देने लगी है। बुधवार रात इटली स्विट्ज़रलैंड को 3-0 से हराकर राउंड ऑफ़ 16 में शामिल होने वाली यूरो कप की पहली टीम बन गई।
टूर्नामेंट में लगातार दूसरी जीत का जश्न मनाते इटली के खिलाड़ी।
रोबेर्तो मैन्चीनी सेरी-आ के स्वर्णयुग (1980-90) में सैम्पदोरीया के लिए खेलते थे। वो लाष्यो के लिए भी खेले। उन्होंने दो लीग टाइटिल और दस इतालवी कप जीते। किंतु वो हमेशा उन खिलाड़ियों में शुमार रहे, जिनके बारे में बहुत पहले से ये अनुमान लगा लिया जाता है कि वो आगे चलकर कोच बनेंगे, क्योंकि उनमें खेल को एनालाइज़ करने की विशिष्ट क्षमता होती है। मैन्चीनी खिलाड़ी के रूप में ही टीम-टॉक्स को सम्बोधित करने लगे थे। जब वो मैनेजर बने तो उन्होंने टाइटिल्स जीतने की अपनी आदत को बरक़रार रखा। इनमें सबसे सनसनीख़ेज़ टाइटिल मैनचेस्टर सिटी के लिए प्रीमियर लीग विजय थी, जो सीज़न के आख़िरी दिन, आख़िरी मैच में, आख़िरी मिनटों के दौरान सेर्जीयो अग्वेरो के जादुई गोल की बदौलत जीता गया।
इस एक जीत ने मैन्चीनी का नाम प्रीमियर लीग की किंवदंतियों में अमर कर दिया। बीते तीन सालों से वो इटली की राष्ट्रीय टीम के साथ काम कर रहे हैं और उन्होंने इतालिया का कायाकल्प कर दिया है। परम्परागत रूप से डिफ़ेंस-माइंडेड टीम मानी जाने वाली इटली में उन्होंने एक क्रिएटिव-फ़्लैयर पैदा किया है, उन्हें उनके मनचाहे खिलाड़ी ठीक पोज़िशन्स में मिले हैं और इसके लिए उनकी पारखी नज़र भी कम ज़िम्मेदार नहीं है।
जैसे कि मानुएल लोकातेल्ली और डोमेनीको बेरार्दी को ही ले लीजिए। ये दोनों इटली के एक मिड-टेबल क्लब सैस्सुओलो के लिए खेलते हैं, जिसने बीते सीज़न लीग में आठवां क्रम पाया। लेकिन मैन्चीनी की इतालवी टीम में ये केंद्रीय भूमिका में हैं। बेरार्दी विंग में खेलते हैं और लोकातेल्ली मिडफ़ील्ड में। बुधवार रात बेरार्दी ने राइट-फ़्लैन्क से एक ख़ूबसूरत क्रॉस दिया, जिस पर लोकातेल्ली ने सेंटर-फ़ॉरवर्ड शैली का गोल किया। इसके लिए वो डीप-मिडफ़ील्ड से दौड़ते हुए आए थे। जब आपके मिडफ़ील्डर पेनल्टी एरिया में वैसी धमक से नमूदार होते हैं तो विंगर्स का काम बहुत आसान हो जाता है।
बाद इसके लोकोतेल्ली ने एक और गोल किया, तीसरा गोल इम्मोबाइल ने दाग़ा। पूरे समय 4-3-3 के फ़ॉर्मेशन में इटली की टीम संयमित और आत्मविश्वस्त दिखलाई दी। उनके खेल में कोई हड़बड़ी नहीं थी। उनके पासेस सधे हुए थे और उनका मूवमेंट गतिशील था। इन दो जीतों के साथ इटली की इस टीम ने सहसा स्वयं को टूर्नामेंट-फ़ेवरेट्स की दौड़ में पुख़्ता तरीक़े से स्थापित कर दिया है।
16 सीजन से रीयल मैड्रिड के साथ रहे रामोस ने क्लब छोड़ने की घोषणा कर दी है।
बुधवार को जब यूरो कप के मुक़ाबले खेले जा रहे थे, तब स्पेन की राजधानी से एक बड़ी ख़बर आई। रीयल मैड्रिड के कप्तान सेर्ख़ियो रामोस ने क्लब छोड़ने की घोषणा कर दी। रामोस रीयल मैड्रिड का पर्याय बन चुके थे और बीते 16 सीज़न्स से इस क्लब को अपने ख़ून-पसीने से सींच रहे थे। फ़ुटबॉल इतिहास के सर्वश्रेष्ठ सेंटर-बैक में उनकी गणना की जाती है और वो स्पैनिश गोल्डन जनरेशन की विश्वविजेता टीम की भी केंद्रीय धुरी थे। रीयल मैड्रिड फ़ैन्स सर्किल में उन्हें कपीतानो यानी कप्तान कहा जाता था।
2014 के चैम्पियंस लीग फ़ाइनल में 93वें मिनट में उनके द्वारा किया गया इक्वेलाइज़र फ़ुटबॉल की महान किंवदंतियों में शुमार है। बार्सीलोना के साथ खेले गए अनेक एल क्लैसिको मुक़ाबलों में रामोस ने हमारे खिलाड़ियों पर ख़तरनाक फ़ाउल किए, बदले में रेड कार्ड खाए, अनेक तीखी झड़पें भी हुईं, लेकिन बार्सा फ़ैन सर्किल्स में मन ही मन सेर्ख़ियो रामोस की हमेशा इज़्ज़त की जाती रही, और उनसे ख़ासा रश्क़ भी किया गया।
इस लेजेंडरी फ़ाइटर को हम ला लीगा में बहुत मिस करेंगे। अलविदा, कपीतानो!
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