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- On The Question Of Playing With Seven Stitches, Satish Said I Am A Soldier Before A Boxer, How Would I Have Left The Battle?
सोनीपत5 मिनट पहलेलेखक: अनिल बंसल
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- हार के बावजूद बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत लेकर जा रहा हूं, वापसी भी करूंगा और जीतकर भी दिखाऊंगा
शनिवार को मुझसे कहा गया था कि आप चाहे तो गेम छोड़ सकते हैं, क्योंकि चेहरे पर चोट के कारण आए टांकों पर दोबारा अटैक से आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन खिलाड़ी बनने से पहले मैं सैनिक बना था, जहां मैंने सीखा था कि सैनिक कभी मैदान नहीं छोड़ा नहीं करते। मैंने उसी परंपरा का निर्वहन किया। यह कहना रविवार को क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान के वर्ल्ड चैंपियन जलोलोवी बखोदिर से 5-0 से हारने वाले सतीश कुमार का। इसी हार के साथ उनका ओलिंपिक सफर खत्म हो गया।
टोक्यो से दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में सतीश ने कहा कि अगर मैं नहीं लड़ता तो मुझे ताउम्र अफसोस रहता। मुकाबले से पहले पिता एवं भाई ने भी मुझे हौंसला दिया। हार-जीत से अलग मैं यहां से बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत लेकर जा रहा हूं। मुकाबले के बाद वर्ल्ड चैंपियन ने मुझसे कहा- ‘वेल प्लेड सतीश’ अब मेरी कोशिश एक बार फिर से रिंग में उतर आगे बढ़ने की होगी। अब ओलिंपिक मेरा सपना नहीं संकल्प होगा। अक्टूबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप की तैयारी भी जल्दी शुरू कर दूंगा। सतीश को जमैका के साथ हुए मुकाबले के दौरान रिकार्डो ब्राउन में चोट के उपचार के दौरान सात टांके लगे थे।
चोट का असर तैयारियों पर पड़ा
चोट से आत्मविश्वास तो कम नहीं हुआ, लेकिन प्री क्वार्टर फाइनल में जीत के बाद जो तैयारी करनी चाहिए वह ठीक से नहीं हो पाई। भविष्य में अपनी तैयारी पुख्ता करने की कोशिश करूंगा। टोक्यो से पहले बेहतर प्रदर्शन का दबाव था। प्री क्वार्टर जीत के बाद चेहरे पर आए टांकों ने परेशानी बढ़ा दी, लेकिन यह खेल का हिस्सा है।
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