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नोएडा एमराल्ड ट्विन टावर मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को लगाई फटकार, 252 बायर्स को 17 जनवरी तक 100 करोड़ का करें भुगतान, नहीं तो होगी जेल

नोएडाएक दिन पहले

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नोएडा सुपरटेक एमराल्ड ट्विन टावर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को फटकार लगाई है। अदालत ने सुपरटेक को 17 जनवरी तक घर खरीदारों को भुगतान करने का निर्देश दिया है और ऐसा नहीं किए जाने पर जेल भेजने की चेतावनी भी दी है। कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण से उस एजेंसी के नाम पर फैसला करने को कहा है, जिसे सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट की ट्विन टावरों को गिराने का काम दिया जाएगा। कोर्ट ने प्राधिकरण को 17 जनवरी को जवाब देने का निर्देश दिया है।

950 से ज्यादा हैं फ्लैट, 633 ने फ्लैट कराए थे बुक

सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे। 32 फ्लोर का कंस्ट्रक्शन पूरा हो चुका था। एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी के बाशिंदों की याचिका पर टावर ढहाने का आदेश 2014 में आया। 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे, जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है। कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण की हरकतों को ‘सत्ता का आश्चर्यजनक व्यवहार’ करार दिया था।

252 बायर्स को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देनी है धनराशि

तय समय बीतने के बावजूद फ्लैट 252 खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रुपए नहीं लौटाए जा सके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुपरटेक ग्रुप को 30 अक्तूबर 2021 तक 252 खरीदारों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम लौटानी थी। यह रकम करीब 100 करोड़ रुपए से अधिक बैठ रही थी। इसके चलते ग्रुप के अधिकारी पिछले दो माह से प्रयास में जुटे थे कि इन खरीदारों को वह ग्रुप के दूसरे प्रोजेक्ट में यूनिट देकर समझौता कर सकें, लेकिन अधिकांश खरीदार अपनी रकम वापस मांग रहे थे।

टावर ध्वस्तीकरण के लिए 17 को जवाब दे प्राधिकरण

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को सुपरटेक के दोनों टावरों सियान और एपेक्स को ध्वस्त करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया था। टावर तय समय में ध्वस्त नहीं किए जा सके। इसके लिए सुपरटेक ने यूएसए की कंपनी एडफिस का चुना था। कार्ययोजना प्राधिकरण में प्रस्तुत की गई थी। जिस पर सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट ने सुझाव दिए थे। यह सुझाव कार्ययोजना में दोबारा से शामिल करने के लिए प्राधिकरण ने कहा है। बरहाल सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को 17 जनवरी तक अपना जवाब देने के लिए कहा है।

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